2025 में Goods and Services Tax (GST) में एक बड़ा बदलाव हुआ है, जिसने भारत के इंश्योरेंस सेक्टर में नई लहर ला दी है। विशेष रूप से, व्यक्तिगत हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसियों पर formerly लागू 18 % GST की दर को हटा दिया गया है। इस बदलाव का असर आम व्यक्ति से लेकर बीमा कंपनियों तक सभी पर महसूस किया जा रहा है।
क्या-क्या बदल गया है?
GST दर शून्य हो गई
- 22 सितंबर 2025 से व्यक्तिगत हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसियों (इंडिविजुअल, फैमिली-फ्लोटर, वरिष्ठ नागरिकों के लिए) पर पहले लगने वाला 18 % GST अब नहीं लिया जाएगा।
- लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसियों में भी यह छूट दी गई है।
कब से लागू होगा?
- इस छूट को GST Council ने 3 सितंबर 2025 की बैठक में मंजूरी दी थी, और लागू होने की तारीख 22 सितंबर 2025 तय की गई।
- यदि आपकी पॉलिसी पहले से है और अगला प्रीमियम 22 सितंबर के बाद देनी है, तो इस छूट का लाभ मिलेगा।
कौन-कौन इसमें शामिल है?
- इंडिविजुअल हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसीज़ (जिसमें आपके नाम पर पॉलिसी हो)
- फैमिली फ्लोटर हेल्थ पॉलिसीज़
- वरिष्ठ नागरिकों के लिए हेल्थ पॉलिसीज़
- लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसीज़ (टर्म, ULIP, एंडोमेंट)
- लेकिन ग्रुप इंश्योरेंस पॉलिसीज़ (Employer/Scheme basis) अभी इस छूट में शामिल नहीं हैं।
ग्राहक-स्तर पर इसका असर
प्रीमियम में सीधे कटौती
उदाहरण के तौर पर — यदि हेल्थ पॉलिसी का बेस प्रीमियम ₹ 30,000 था, तो पहले इसमें 18 % GST अर्थात् ₹ 5,400 जुड़ते थे और कुल भुगतान होता था ₹ 35,400। अब रूप से आपको केवल ₹ 30,000 ही देना होगा।
सस्ती कवरेज का अवसर
कम प्रीमियम होने से अब यूज़र को या तो वही पॉलिसी पहले जैसा ही मिल सकती है कम राशि में या थोड़ा अधिक कवरेज लेकर बेहतर सुरक्षा ले सकता है।
पहली बार पॉलिसी लेने वालों को फायदा
जिन लोगों ने अभी तक हेल्थ इंश्योरेंस नहीं ली थी क्योंकि महँगी लगती थी — उनके लिए यह छूट एक बढ़ावा है।
बीमा कंपनियों और सिस्टम पर असर
इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) खत्म
अब लिस्टेड पॉलिसियों पर कंपनियों को इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं मिलेगा। इससे उनकी लागत पर दबाव बढ़ सकता है।
कमीशन-डिस्ट्रीब्यूटर स्ट्रक्चर में बदलाव
क्योंकि कंपनियों को ITC नहीं मिलेगा और खर्च बढ़ सकते हैं, उन्होंने कमीशन और डिस्ट्रीब्यूटर पेमेन्ट स्ट्रक्चर फिर से देखने शुरू कर दिए हैं।
प्रिमियम बढ़ने की संभावना
कुछ विश्लेषकों का कहना है कि कंपनियाँ इस लागत को वसूल करने के लिए नए बेस प्रीमियम में 1-5% तक वृद्धि कर सकती हैं।
क्या ध्यान देना चाहिए — उपयोगकर्ता के रूप में?
- अपनी पॉलिसी की अगली नवीनीकरण तिथि देखें: यदि आपके प्रीमियम की तारीख 22 सितंबर 2025 के बाद है तो छूट लागू होगी।
- यह सुनिश्चित करें कि वह पॉलिसी इंडिविजुअल बेसिस पर है — यदि ग्रुप (कंपनी/संस्था द्वारा) पॉलिसी है, तो GST छूट लागू नहीं है।
- पॉलिसी को लेते या रिन्यू करते समय बीमा कंपनी/एजेंट से यह कन्फर्म करें कि GST छूट आपके लिए पास-ऑन हुई है।
- पॉलिसी चुनते वक्त सिर्फ प्रीमियम पर ध्यान न दें — कवरेज, एक्सक्लूज़न, क्लेम प्रक्रिया, अस्पताल नेटवर्क आदि भी देखें।
- यदि आपने पहले से ही कई वर्ष के प्रीमियम अग्रिम भुगतान किए थे जिसमें GST शामिल था, तो उस राशि का रिफंड नहीं होगा।
निष्कर्ष
GST में यह सुधार व्यक्तिगत हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसियों के लिए एक मील का पत्थर साबित हो सकता है। प्रीमियम कम होने का मतलब है कि बीमा अब अधिक लोगों के लिए सुलभ हो रहा है। लेकिन साथ ही इस बदलाव के साथ बीमा कंपनियों की लागत संरचना बदल रही है, जो आने वाले समय में पॉलिसियों के ब्यौरे, प्रीमियम और कमीशन मॉडल में भी असर डाल सकती है। इसलिए, उपयोगकर्ता को सजग रहना होगा, पॉलिसी-शर्तें समझनी होंगी और यह देखना होगा कि छूट का लाभ वास्तव में मिल रहा है या नहीं।